विशेष पर्व / व्रत

  • राधा अष्टमी – राधा रानी की जयंती का पर्व, अष्टमी तिथि में मनाया जाता है। यह प्रेम, समृद्धि और पूर्ति का प्रतीक माना जाता है।
  • अन्य महत्वपूर्ण पर्व: मासिक दुर्गाष्टमी, महालक्ष्मी व्रत आरंभ, साथ ही ज्येष्ठ गौरी अवहण, और दूर्वा अष्टमी की उपासना की जाती है।

पंचांग विवरण (Ujjain संदर्भ)

  • तिथि (Tithi):
    शुक्ल अष्टमी समाप्त होगी करीब 12:57 AM (1 सितंबर) तक। तत्पश्चात नवमी प्रारंभ।
  • नक्षत्र (Nakshatra):
    अनुराधा नक्षत्र का प्रभाव सुबह संभवतः (लगभग दोपहर तक), इसके बाद ज्येष्ठा प्रारंभ हो जाती है।
  • योग (Yoga):
    वैधृति योग दोपहर ~3:59 PM तक सक्रिय रहेगा; इसके पश्चात विष्कुंभ योग लगने की संभावना है।
  • करण (Karana):
    विष्टी करण सुबह तक प्रभावी—लगभग मग्न भोजन या दोपहर तक।

सूर्योदय एवं गोधुलि

  • सूर्योदय / सूर्यास्त:
    सुबह लगभग 5:59 AM, शाम लगभग 6:44 PM
  • चंद्र राशि:
    चंद्रमा वृश्चिक (Scorpio) राशि में रहेगा।

शुभ-अशुभ मुहूर्त व राहुकाल

  • राहुकाल: लगभग 5:08 PM – 6:44 PM
  • यमगंड: 11:58 AM – 1:33 PM
  • गुलिका: 3:08 PM – 4:43 PM
    (सभी समय वरणासी संदर्भ से लिए गए हैं)
  • शुभ मुहूर्त:
    11:33 AM – 12:23 PM — अत्यंत अनुकूल समय (Sri Mandir अनुसार)

सारांश तालिका

घटकविवरण
तिथिशुक्ल अष्टमी (रात्रि 12:57 AM तक), फिर नवमी
नक्षत्रअनुराधा → ज्येष्ठा
योगवैधृति → विष्कुंभ
करणविष्टी
राहुकाल5:08 PM – 6:44 PM
शुभ मुहूर्त11:33 AM – 12:23 PM
विशेष पर्वराधा अष्टमी, मासिक दुर्गा/महालक्ष्मी व्रत आदि

पूजा-विधि और मार्गदर्शन

  • राधा अष्टमी पर भक्ति रीति:
    • सुबह का शुभ समय (11:33 AM – 12:23 PM) या वैधृति योग अवधि पूजा/भजन हेतु सर्वोत्तम।
    • मंत्र जैसे: Om Vrishabhanujyai Vidmahe Krishna Priyai Dhimahi Tanno Radha Prachodayat का जाप किया जा सकता है।
    • हो सके तो माहिलक्ष्मी व्रत, दूर्वा अष्टमी, और दुर्गााष्टमी सम्बंधित पूजा अतिशय शुभ होगी।
  • क्या न करें:
    राहुकाल, यमगंड, गुलिका और दूर्मुहूर्त काल में कोई नया कार्य/पूजा न करें—ये समय अशुभ परिणाम ला सकते हैं।

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