महत्व और पर्व
- शुक्ल षष्ठी — भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि। यह अवधि सुबह से शुरू होकर देर शाम तक बनी रहती है।
- विशेष पर्व/व्रत — इस तिथि को Skanda Sashti (मूर्त रूप में भगवान कार्तिकेय की पूजा) मनाई जाती है, जो शक्ति, विजय और रक्षा का प्रतीक है।
- नव आरंभों के लिए शुभ — यह दिन नए कार्यों के शुभारंभ हेतु अनुकूल माना जाता है, विशेषतः Visakha Nakshatra एवं Indra Yoga के संयोजन के कारण, जो नेतृत्व और सामाजिक संपर्क को प्रोत्साहित करता है।
तिथि, नक्षत्र, योग, करण
- तिथि (Tithi): शुक्ल षष्ठी (Shashthi) — लगभग पूरे दिन प्रभावी।
- नक्षत्र (Nakshatra): स्वाति — सुबह तक प्रभावी; दोपहर बाद विशाखा नक्षत्र प्रारंभ हो सकता है।
- योग (Yoga): ब्रह्म योग सुबह से दोपहर 2:12 PM तक, फिर शाम से इन्द्र योग.
- करण (Karana): तैतीला चरण — सुबह से शाम सप्ताह तक (लगभग)।
सूर्योदय, चंद्र उदय एवं राशि
- उज्जैन संदर्भ:
- सूर्योदय: 6:12 AM | सूर्यास्त: 6:43 PM
- चंद्र उदय: 11:13 AM | चंद्रास्त: 10:16 PM
- राशियाँ:
- सूर्य राशि: सिंह (Leo)
- चंद्र राशि: तुला (Libra) — संतुलन, सौंदर्य, न्याय की प्रवृत्ति।
अशुभ व शुभ काल (मुहूर्त)
अशुभ काल (राहुकाल आदि)
- राहुकाल: 10:53 AM – 12:27 PM
- यमगण्ड काल: 3:35 PM – 5:09 PM
- गुलिका काल: 7:45 AM – 9:19 AM
- दुर्मुहूर्त: 8:42 AM – 9:32 AM, तथा 12:52 PM – 1:42 PM
- वर्ज्य काल: 5:56 PM – 7:44 PM
शुभ मुहूर्त
- अभिजित मुहूर्त: 12:02 PM – 12:52 PM
- अमृत काल: 4:42 AM – 6:30 AM
- ब्रह्म मुहूर्त: 4:36 AM – 5:24 AM
चौघड़िया (दिन/रात्रि)
| दिन (6:12–18:43) | समय (वेला) |
|---|---|
| चर | 6:12–7:45 AM |
| लाभ | 7:45–9:19 AM |
| अमृत | 9:19–10:53 AM |
| काल | 10:53 AM–12:27 PM |
| शुभ | 12:27–2:01 PM |
| रोग | 2:01–3:35 PM |
| उद्वेग | 3:35–5:09 PM |
| चर | 5:09–6:43 PM |
रात्रि (18:43–6:12):
रोग, काल, लाभ, उद्वेग, शुभ, अमृत, चर, रोग—विशेष क्रम में।
सारांश तालिका
| तत्व | विवरण |
|---|---|
| तिथि | शुक्ल षष्ठी (Skanda Sashti का दिन) |
| नक्षत्र | स्वाति (सुबह) → विशाखा (दोपहर के बाद) |
| योग | ब्रह्म योग → इन्द्र योग |
| करण | तैतीला |
| राहुकाल | 10:53 AM – 12:27 PM |
| शुभ मुहूर्त | अभिजित (12:02–12:52 PM), अमृत (सुबह), ब्रह्म मुहूर्त (सुबह) |
| अमृत चौघड़िया | सुबह 9:19–10:53 AM |
| अनुष्ठानिक उपयुक्तता | माता कात्यायनी/कार्तिकेय पूजा और सामाजिक कार्य हेतु अतिशय शुभ |
अनुष्ठानिक सुझाव (पूजा व मुहूर्त)
- Skanda Sashti पूजा / माता कात्यायनी आराधना करते समय:
- तिथि दिनांक अच्छी होने के कारण, सुबह अमृत चौघड़िया (9:19–10:53 AM) या अभिजित मुहूर्त (12:02–12:52 PM) आदर्श रहेगा।
- ब्रह्म मुहूर्त (4:36–5:24 AM) में ध्यान, गान, मंत्र जाप और आरंभ करें।
- सामाजिक आयोजन / नेतृत्व संबंधी कार्यक्रम:
- इन्द्र योग की शक्ति रात से लेकर शाम तक सक्रिय है—इस समय नेटवर्किंग, सभा या विमर्श-सत्रों के आयोजन हेतु उत्तम अवसर।
- क्या न करें:
- राहुकाल, यमगण्ड, वर्ज्य, और दुर्मुहूर्त समय में नए कार्य या यात्रा शुरू करने से बचें।
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