प्रमुख पर्व और महत्व
- गणेश चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi)—बड़ा हिंदू त्योहार, गणपति स्थापना का प्रारंभ।
- चतुर्थी व्रत—व्रत रखने वालों के लिए पवित्र दिन।
- मिथ्लाकाल—मून साईटिंग का विशेष परहेज़, जो 27 अगस्त को सुबह 9:28 AM – रात 8:57 PM तक रहेगा, मिथ परीलोक-विवादों को दर्शाता है।
पंचांग विवरण (Ujjain संदर्भ)
- तिथि (Tithi):
- शुक्ल पंचमी – वर्ष की इस तिथि की अवधि सुबह से रात तक—चतुर्थी के बाद पंचमी तिथि प्रारंभ हो चुकी होगी।
- नक्षत्र (Nakshatra):
- चित्रा नक्षत्र प्रभावी है।
- योग (Yoga):
- सुखा योग—सृजनात्मक कार्यों के लिए उपयोगी योग, इसे शुभ माना जाता है।
- करण (Karana):
- विष्टी करण शामिल है (दिन भर)।
शुभ / अशुभ काल — Prokerala अनुसार (उज्जैन)
- राहुकाल: 12:28 PM – 2:02 PM
- यमगंड: 7:45 AM – 9:19 AM
- गुलिका: 10:54 AM – 12:28 PM
- दुर्मुहूर्त: 12:03 PM – 12:53 PM
- वर्ज्य: 2:57 PM – 4:44 PM
- अमृत काल: 1:36 AM – 3:22 AM (रात)
- ब्रह्म मुहूर्त: 4:35 AM – 5:23 AM
- (अभिजित मुहूर्त नहीं)
चौघड़िया (Ujjain)
दिन के चौघड़िया:
- लाभ: 6:11–7:45 AM
- अमृत: 7:45–9:19 AM
- काल: 9:19–10:54 AM
- शुभ: 10:54 AM–12:28 PM
- रोग: 12:28–2:02 PM
- उद्वेग: 2:02–3:36 PM
- चर: 3:36–5:11 PM
- लाभ: 5:11–6:45 PM
रात्रि के चौघड़िया:
- उद्वेग: 6:45–8:11 PM
- शुभ: 8:11–9:36 PM
- अमृत: 9:36–11:02 PM
- चर: 11:02 PM–12:28 AM
- रोग: 12:28–1:54 AM
- काल: 1:54–3:20 AM
- लाभ: 3:20–4:45 AM
- उद्वेग: 4:45–6:11 AM
सारांश तालिका
| घटक | विवरण |
|---|---|
| पर्व | गणेश चतुर्थी, चतुर्थी व्रत |
| तिथि | शुक्ल पंचमी |
| नक्षत्र | चित्रा |
| योग | सुखा (अनुकूल) |
| करण | विष्टी |
| राहुकाल | 12:28 PM – 2:02 PM |
| यमगंड / गुलिका | सावधान काल |
| दुर्मुहूर्त / वर्ज्य | अशुभ समय |
| अमृत काल | 1:36 – 3:22 AM (रात्रि) |
| चौघड़िया प्रमुख | लाभ, अमृत और शुभ वेला विशेष रूप से उपयोगी |
| शुभ व्रत | गणेश चतुर्थी की पूजा, विशेष अनुष्ठान |
अनुष्ठानिक मार्गदर्शन
पूजा विधि:
- सूर्योदय के बाद शुगर या सिंदूर से गणपति प्रतिमा स्थापित करें।
- मध्यान्ह मुहूर्त (दोपहर 12:00–12:53 PM) में पूजा करना श्रेष्ठ—यहां दुर्मुहूर्त शुरू होता है, लेकिन चौघड़िया “शुभ” समय (10:54–12:28 PM) और अमृत वेला (रात्रि) लाभदायी है।
- मदो(क) प्रसाद, वृक्षाञ्जलि, “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र, एवं सामुदायिक भजन शामिल करें।
क्या न करें:
- राहुकाल (12:28–2:02 PM), यमगंड, वर्ज्य, और दुष्ट मुहूर्त के समय पूजा/नया आरंभ टालें।
चौघड़िया पर उपयोग:
- सुबह का “अमृत” (7:45–9:19 AM) और “शुभ” (10:54 AM–12:28 PM) मुहूर्त कार्य आरंभ के लिए उत्तम।
- रात्रि का “अमृत” (9:36–11:02 PM) ध्यान या आरती के लिए अद्भुत।
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