मुख्य विशेषताएँ

  • यह दिन है शुक्ल प्रतिपदा (श्रवण मास), उनके बाद प्रातिपदा प्रारंभ होगी।
  • फार्मॉस्ट विशेष: पिथोरी अमावस्या समाप्त हो चुकी थी, और अब शुक्ल पक्ष की शुरुआत।

पंचांग विवरण

घटकविवरण
विक्रम संवत / शक संवतविक्रम संवत 2082 (कलायुक्त), शके संवत 1947 (विश्ववसु)
तिथिशुक्ल प्रतिपदा – सुबह 11:36 AM से अगली तिथि तक
नक्षत्रमघा – सुबह 12:16 AM से अगले दिन शाम 12:54 AM तक
करणनाग (11:42 PM–11:36 AM), किष्टुघ्न (11:36 AM–11:38 PM), बाव (रात 11:38 PM से अगले दिन तक)
योगपरिघ (पिछले दिन दोपहर से आज 1:19 PM तक), शिव योग (आज 1:19 PM से कल तक)
सूर्योदय/सूर्यास्त (उज्जैन)सूर्योदय: 6:10 AM • सूर्यास्त: 6:48 PM
चंद्र उदय/अस्तचंद्र उदय: 5:56 AM • चंद्र अस्त: 7:04 PM

अशुभ/शुभ मुहूर्त

  • राहुकाल: 9:19 AM – 10:54 AM
  • यमगंड काल: 2:04 PM – 3:39 PM
  • गुलिका काल: 6:10 AM – 7:44 AM
  • दुर्मुहूर्त: 7:51 AM – 8:41 AM
  • वर्ज्य: 12:35 PM – 2:14 PM
  • अभिजित मुहूर्त: 12:04 PM – 12:54 PM
  • अमृत काल (रात्रि): 10:26 PM – 12:05 AM
  • ब्रह्म मुहूर्त: 4:34 AM – 5:22 AM

सारांश तालिका

घटकविवरण
तिथिशुक्ल प्रतिपदा (11:36 AM से)
नक्षत्रमघा (12:16 AM → 12:54 AM)
करणनाग → किष्टुघ्न → बाव
योगपरिघ → शिव
सूर्योदय/सूर्यास्त6:10 AM / 6:48 PM
चन्द्र उदय/अस्त5:56 AM / 7:04 PM
शुभ मुहूर्तअभिजित, रात्रि का अमृत काल, ब्रह्म मुहूर्त
अशुभ कालराहुकाल, यमगंड, गुलिका, दुर्मुहूर्त, वर्ज्य
विशेष दिनशुक्ल प्रतिपदा (नई शुरुआत हेतु शुभ दिन)

मार्गदर्शन (अनुष्ठानिक उल्लेख)

  • नई शुरुआत (काम, अनुबंध, पूजा) के लिए अभिजित मुहूर्त (12:04 PM–12:54 PM) अत्यंत शुभ है।
  • शिव योग की ताकत (1:19 PM के बाद) — ध्यान/धार्मिक कार्यों के लिए अनुकूल।
  • रात्रि का अमृत काल (10:26 PM–12:05 AM) — पूजा या विश्राम हेतु उत्तम।
  • सलाह: राहुकाल, यमगंड, वर्ज्य इत्यादि अशुभ समय में महत्वपूर्ण कार्य/सुराज्य न करें।

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