दिन एवं समय विवरण

  • विक्रम संवत: 2082 (कलायुक्त)
  • शके संवत: 1947, विष्ववसु वर्ष
  • पक्ष: कृष्ण पक्ष
  • दिन: बुधवार (बुधवार का दिन—बुधवार ख़ास मनाया जाता है)

तिथि (Tithi)

  • कृष्ण पक्ष द्वादशी: 19 अगस्त 15:32 से 20 अगस्त 13:58 तक
  • कृष्ण पक्ष त्रयोदशी: 20 अगस्त 13:58 से 21 अगस्त 12:45 तक

नक्षत्र (Nakshatra)

  • पुनर्वसु: 20 अगस्त 01:07 से 21 अगस्त 00:27 तक
  • पुष्य: 21 अगस्त 00:27 से 22 अगस्त 12:08 तक

करण (Karana)

  • तैतीला: 20 अगस्त 02:43 से 20 अगस्त 13:59 तक
  • गरिजा: 20 अगस्त 13:59 से 21 अगस्त 01:19 तक
  • वणिजा: 21 अगस्त 01:19 से 21 अगस्त 12:45 तक

योग (Yoga)

  • सिद्धि योग: 19 अगस्त 20:29 से 20 अगस्त 18:13 तक
  • व्यातिपात योग: 20 अगस्त 18:13 से 21 अगस्त 16:14 तक

सूर्योदय एवं सूर्यास्त

  • सूर्योदय: लगभग 6:09 बजे
  • सूर्यास्त: लगभग 18:51 बजे (Ujjain के अनुसार; स्थान के अनुसार मामूली अंतर हो सकते हैं)

चंद्र उदय एवं अस्त

  • चंद्र उदय: 20 अगस्त 02:50 AM
  • चंद्र अस्त: 20 अगस्त 17:01 PM

अपशुभ काल (Inauspicious Periods)

  • राहुकाल: 12:30 PM – 2:05 PM
  • यमगंड (Yamaganda): 7:44 AM – 9:19 AM
  • गुलिका: 10:54 AM – 12:30 PM
  • दुर्मुहूर्त (Dur Muhurat): 12:04 PM – 12:55 PM
  • वर्ज्य (Varjyam): 12:47 PM – 02:20 PM

शुभ काल (Auspicious Periods)

  • ब्रह्म मुहूर्त: लगभग 04:33 AM – 05:21 AM
  • अमृत काल: 10:05 PM – 11:39 PM

व्रत एवं त्योहार

  • प्रदोष व्रत: यह दिन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से मेल खाता है, जो प्रायः प्रदोष व्रत के दिन मनाया जाता है।
  • अगस्त माह का दूसरा प्रदोष व्रत भी इसी दिन रखा गया है।

ब्लॉग स्वरूप में प्रस्तुति

शीर्षक: 20 अगस्त 2025 – पंचांग विश्लेषण: व्रत, शुभ-अशुभ समय और ज्योतिषीय संकेत


परिचय

“20 अगस्त 2025 को हिंदू पंचांग के अनुसार यह दिन विशेष ज्योतिषीय और पवित्र गतिविधियों से व भरा हुआ है। जानिए—कैसी तिथियाँ, योग, नक्षत्र और मुहूर्त बनाते हैं इसे खास।”


पंचांग के मुख्य घटक

तिथि

  • दिन की शुरुआत द्वादशी से हुई, जो 13:58 बजे त्रयोदशी में परिवर्तित हुई। यह समय प्रदोष व्रत के लिए उपयुक्त माना जाता है।

नक्षत्र

  • पूरे दिन ‘पुनर्वसु’ नक्षत्र था, और अंत में ‘पुष्य’ का उदय।

करण और योग

  • तैतीला करण और सिद्धि योग प्राथमिक प्रभाव रखते हैं—सफलता संकेतक।
  • शाम में व्यातिपात योग असरदार, लेकिन थोड़ी सावधानी से।

सूर्य और चंद्र की स्थिति

  • उज्जैन में सूर्योदय लगभग 6:09 बजे, सूर्यास्त 18:51 बजे।
  • चंद्रमा रात 2:50 बजे उदित हुआ और शाम 5:01 बजे अस्त हुआ।

व्रत, मुहूर्त और क्रम

  • यह दिन प्रदोष व्रत के लिए आदर्श—परम पवित्र व संकल्प समय।
  • शुभ मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:33–5:21 AM) व अमृत काल (रात 10:05–11:39 PM)।
  • ** अशुभ अवधि**: राहुकाल, यमगंड, गुलिका, वर्ज्य आदि समयों से बचना अच्छा होता है।

सारांश तालिका

घटकविवरण
तिथिद्वादशी (1:58PM तक), फिर त्रयोदशी
नक्षत्रपुनर्वसु → पुष्य
करणतैतीला → गरिजा → वणिजा
योगसिद्धि → व्यातिपात
मुख्य व्रतप्रदोष व्रत
शुभ मुहूर्तब्रह्म मुहूर्त, अमृत काल
अपशुभ कालराहुकाल, यमगंड, गुलिका, वर्ज्य

निष्कर्ष

20 अगस्त 2025 एक भक्तिपूर्ण और शुभ दिन है—विशेषकर प्रदोष व्रत के संदर्भ में। ब्रह्म मुहूर्त या रात का अमृत काल व्रत या पूजा के लिए सर्वोत्तम समय हैं। इस दिन वर्ज्य और राहुकाल जैसे समय से बचते हुए सभी धार्मिक कार्य किए जाएँ, तो उनका फल अधिक शुभ माना जाता है।


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